क़ुछ पल जीवन में ऐसे आते हैं ,
जब हम भीड़ में भी तनहा हो जाते है ॥
दुनिया के बंधन में ऐसे बंध जाते है कि ,
अपनों में भी पराये नज़र आते हैं ॥
फिर भी नज़रूँ को रहती है तलाश किसी अपने की,
हर पल कुछ सुनना चाहता है येः दिल ,
पर जब कोई सुनने वाला हो तोह लफ्ज़ बदल जाते है ;
जैसे किसी खौफ से होठ सील जाते हैं
जज़्बातों का जैलाब फिर थम जाता है और उफनता हुआ
समुन्दर शांत हो जाता है
और हम फिर उस अँधेरी रौशनी में घुल मिल जाते है॥